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डॉक्टर रामाश्रय सिंह पर लगे किडनी चोरी के आरोप से अचंभित हैं जिलेवासी
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2021 में भी अद्वैता हॉस्पिटल पर लगा था किडनी चोरी का आरोप
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2014 में डॉ. नलिनी रंजन सिंह, डॉ. राम यतन सिंह और डॉ. रामाश्रय सिंह के यहां आयकर विभाग की छापेमारी में मिले थे बारह करोड़ रुपए
समाचार विचार/बेगूसराय: नॉर्थ बिहार के मेडिकल हब के रूप में विख्यात होते जा रहे कुख्यात बेगूसराय के डॉक्टरों की अगर काली कमाई से हो रही है जग हंसाई तो चौंकिए मत! आम लोगों में अब यह धारणा बन गई है कि चिकित्सा पेशा को दागदार करने वाले कुछ धनलोलुप चिकित्सकों के लिए मरीज अब रुपए उगलने की मशीन बन गए हैं। तभी तो, महमदपुर से लेकर एनएच 31 के समीपवर्ती इलाकों सहित नगर निगम क्षेत्र में निजी क्लीनिकों की बाढ़ सी आ गई है। ऐन केन प्रकारेन धनार्जन की उत्कट दानवी अभिलाषा ने इनलोगों को कलई खोल कर रख दी है। डीह डंबर बिकवा कर दू मंजिला चार मंजिला इमारत खड़ा करने वाले इन डॉक्टरों पर आयकर विभाग की नजरें अगर टेढ़ी होती भी हैं तो मैनेज सिस्टम से भले ही ये अपने दामन को धुलने का प्रयास कर लेते हों लेकिन ऊपर वाले की अदालत इनको सजा देने में कोई कोताही नहीं बरतती है। इस आलेख को गंभीरता से पढ़ने वाले पाठक यह जानते होंगे कि इस कुकृत्य में शामिल जिले के तथाकथित तीन चार चिकित्सकों की औलादों की स्वास्थ्य जनित विकृतियां उन्हें आइना दिखा रही हैं, बड़े बड़े चिकित्सा संस्थानों में धन को पानी की तरह बहाने के बाद भी प्रारब्ध उनका पीछा नहीं छोड़ रही है। हम अगले आलेख में साक्ष्य के साथ इनकी पोल खोलने की तैयारी में जुटे ही थे कि आज की एक घटना ने चलचित्र की भांति मानस पटल को उद्वेलित कर दिया।
डॉक्टर रामाश्रय सिंह पर लगे किडनी चोरी के आरोप से अचंभित हैं जिलेवासी
बीएम हॉस्पिटल के संचालक डॉ. रामाश्रय सिंह अपने कुकृत्यों की वजह से किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। बिजली चोरी करने के आरोपों की आधिकारिक पुष्टि होने के बावजूद सीना चौड़ा कर विभिन्न समारोहों में करतल ध्वनियों के साथ अगर ये और इनके जैसे अन्य स्वनामधन्य चिकित्सक सम्मानित होते हुए देखे जाते हैं तो यह कलयुगी प्रवृति के प्रबल होने की आहट है। डॉक्टर साहब पर वर्ष 2023 में 1 लाख 88 हजार रुपए की बिजली चोरी का जुर्माना भी लगा था। आज की किडनी चोरी की घटना का आरोप नगर थाना क्षेत्र के विष्णुपुर में स्थित बीएम हॉस्पिटल की है। मृतक मरीज की पहचान शाम्हो थाना क्षेत्र के बिजुलिया निवासी नवल पासवान के पचास वर्षीय बेटे राम विनय पासवान के रूप में की गई है। घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि रामविनय पासवान का 18 मई को लखीसराय में एक्सीडेंट हो गया था। वहां के अस्पताल में हालत में सुधार नहीं होने पर बरौनी के एक अस्पताल लाया गया। वहां से भी रेफर किए जाने पर मंगलवार को परिजनों ने उसे बीएम हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। जहां आज दोपहर इलाज के दौरान मौत हो गई। मौत के बाद परिजन आक्रोशित हो गए और डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए तोड़फोड़ करने लगे। तोड़फोड़ की सूचना मिलते ही पुलिस तुरंत अस्पताल पहुंची। लोगों को शांत कराने का प्रयास किया। लेकिन आक्रोशित लोग शांत नहीं हुए। इसके बाद मौके पर हेड क्वार्टर डीएसपी रमेश प्रसाद सिंह, सदर बीडीओ सुदामा प्रसाद सिंह और नगर थानाध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार आदि पहुंचे। परिजनों की मांग पर शव को बाहर निकाला गया।
आक्रोशित परिजनों ने लगाया किडनी निकालने का आरोप
शव को बाहर निकालने के बाद परिजन काफी आक्रोशित हो गए। परिजनों का आरोप है कि एक्सीडेंट में पैर में समस्या आई थी। लेकिन डॉक्टर ने पेट चीर कर किडनी निकाल लिया है, जिसके कारण मौत हुई है। फिलहाल पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी लोगों को समझाने-बुझाने में जुटे हुए हैं। लेकिन लोग किसी भी हालत में सुनने को तैयार नहीं हैं। इस संबंध में अस्पताल के प्रबंधक डॉ. रामाश्रय सिंह का कहना है कि पेशेंट को यहां काफी सीरियस हालत में लाया गया था। दोनों आंत फटा हुआ था। पेशेंट की स्थिति काफी गंभीर थी। हमलोगों ने आईसीयू में भर्ती कर इलाज करना शुरू किया। लेकिन काफी लंबे समय से आंत फटे रहने और पेट में मैला पूरी तरह से भर जाने के कारण उसकी मौत हुई है। डॉक्टरों की टीम द्वारा वीडियो-ग्राफी के सामने पोस्टमॉर्टम कराने और दोषी पर कार्रवाई का आश्वासन दिए जाने के बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया गया।
2021 में भी अद्वैता हॉस्पिटल पर लगा था किडनी चोरी का आरोप
वर्ष 2021 में भी बरौनी थाना क्षेत्र के राजवाड़ा निवासी दीपक साह की पत्नी तुलसी कुमारी को डिलेवरी के लिए अद्विता हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान बच्चे का जन्म सही सलामत हुआ, लेकिन महिला की हालत लगातार बिगड़ती गई। हालात नाजुक हो जाने के बाद महिला को पटना रेफर किया गया, जहां महिला की मौत हो गई। वहीं पटना के डॉक्टरों ने जांच में बताया कि महिला की किडनी और लिवर निकाल लिया गया है। जिसके कारण उसकी मौत हो गई। इसके बाद आक्रोशित लोगों ने अस्पताल पहुंच कर जमकर हो हंगामा किया। परिजनों ने आरोप लगाया था कि इस अस्पताल के महिला डॉक्टर के द्वारा ऑपरेशन नहीं कर नर्स के द्वारा ऑपरेशन किया गया तथा महिला की किडनी और लीवर निकाल लिया गया। बाद में पुलिस ने किसी तरह कड़ी मशक्कत के बाद मामले को शांत कराया।
2014 में डॉ. नलिनी रंजन सिंह, डॉ. राम यतन सिंह और डॉ. रामाश्रय सिंह के यहां आयकर विभाग की छापेमारी में मिले थे बारह करोड़ रुपए
आपको याद होगा कि वर्ष 2014 में बेगूसराय के तीन डॉक्टरों के यहां की गई छापेमारी में आयकर विभाग को बारह करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की चल-अचल संपत्ति का पता चला था। डॉक्टरों के पास से एक करोड़ 85 लाख रुपये नकद, 40 बैंक एकाउंट के अलावा पटना के साथ ही राज्य के दूसरों हिस्सों व नोएडा में जमीन आदि में निवेश के कागजात मिले थे। वैध-अवैध स्रोतों की जांच के बाद पूरे चिकित्सा जगत में खलबली मची हुई थी।आयकर विभाग की ओर से आधिकारिक जानकारी में बताया गया था कि डॉ. रामाश्रय सिंह के यहां से विभाग को नकद के रूप में 62 लाख, डॉ. नलिनी रंजन सिंह के आवास से 40 लाख और डॉ. रामयतन के आवास से 82.5 लाख रुपये मिले हैं। अब आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि इन्होंने जो समाजसेवी होने का आवरण ओढ़ रखा है, धरती के भगवान कहने पर इनकी छाती चौड़ी हो जाती है, क्या गाय दान करने के बाद इन्होंने ये काली कमाई की है? इतना ही नहीं आयकर अधिकारियों को छापेमारी में रजिस्ट्रेशन बुक मिली थी जो मेंटेंड नहीं थी। तीनों चिकित्सकों के विभिन्न बैंकों में एकाउंट भी मिले थे, जिनके बारे में वे कुछ बता नहीं सके। आयकर विभाग की दबिश के बाद डॉ. नलिनी रंजन सिंह ने 3.19 की सम्पत्ति की जानकारी आयकर विभाग को दी थी, जिसका कोई टैक्स उन्होंने नहीं चुकाया। उस छापेमारी में इन डॉक्टरों के एकाउंटेंट फरार हो गए थे।
आज भी समाचार विचार के टच में रहे आयकर अधिकारियों ने दी विस्तृत जानकारी
आयकर अन्वेषण विभाग के संयुक्त निदेशक एच. साहा एवं आयकर अन्वेषण ब्यूरो भागलपुर प्रक्षेत्र के तत्कालीन उप निदेशक मनीष झा आज भी समाचार विचार के टच में हैं। उनके नेतृत्व में ही इन तीनों बड़े चिकित्सकों के यहां छापेमारी की गई थी। तीनों के ठिकानों से करोड़ों मूल्य के जमीन के कागजात, बैंक पासबुक, एफडी एवं अन्य निवेश संबंधी दस्तावेज बरामद किए गए थे। जेवरात समेत कई अहम दस्तावेज भी आयकर टीम को हाथ लगे थे और बैंक खातों व लॉकरों को सील भी कर दिया गया था। लेकिन, उसके बाद क्या हुआ, यह किसी से छुपा हुआ नहीं है।दो जून की रोटी के लिए मशक्कत कर रहा आम आदमी और इन्हीं को नोच कर खाने वाले इन परम आदरणीय के विषय में अब कुछ कहना उचित नहीं लग रहा है। आप खुद सोचिए और बन सके तो प्रतिकार जरूर कीजिए। और हां, क्लिनिकल एक्ट से बचकर रहिएगा। बहुत बड़ा ढाल है यह अपनी राक्षसी प्रवृति को छुपाने का।
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Author: समाचार विचार
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