➡️पुलिस की लगातार कार्रवाई के बावजूद धंधे से बाज नहीं आ रहे हैं अवैध कारोबारी
➡️पुलिस ने 8 शराब की भट्टी को ध्वस्त कर 4500 लीटर शराब को किया विनष्ट
समाचार विचार/साहेबपुरकमाल/बेगूसराय: बिहार सरकार ने भले ही राज्य में शराब बंदी लागू कर रखी है, लेकिन इसके बावजूद भी राज्य के कोने कोने में धड़ल्ले से शराब बनाई और बेची जा रही है। शराबबंदी के कारण ब्लैक में शराब बेचने वालों की तादाद ज्यादा हो गई है और ज्यादा मुनाफे के लिए शराब के अवैध कारोबारी कई बार आम लोगों की जिंदगी से खेल जाते हैं। कुछ दिनों पहले ही नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि बिहार के 15 फ़ीसदी लोग शराबबंदी के बावजूद लगातार शराब पी रहे हैं। बेगूसराय जिले के पूर्वी सीमा पर स्थित साहेबपुरकमाल थाना क्षेत्र के तटवर्ती इलाके में देसी शराब का कारोबार परवान पर है। गंगा नदी के तटीय दक्षिणी और उत्तरी भाग में देसी शराब की असंख्य भट्टी को देखकर यह कहना प्रासंगिक होगा कि शराब का निर्माण कार्य अब कुटीर उद्योग के रूप में परिणत हो गया है। शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद थाना क्षेत्र के आदतन सक्षम शराबियों को महंगे दामों पर अंग्रेजी शराब तो सहज रूप से उपलब्ध हो जाता है लेकिन मजदूर और निम्न आय वर्गीय लोगों को अपनी तलब मिटाने के लिए देसी शराब ही एकमात्र विकल्प है, जिसका फायदा उठाकर देसी शराब के कारोबारियों ने गंगा के तटीय इलाके को शराब की भट्ठियों में तब्दील कर रख दिया है। गुप्त सूचना के आधार पर भले ही पुलिस इन भट्ठियों को ध्वस्त कर देती है, लेकिन फिर से ये सक्रिय हो जाते हैं।
पुलिस ने 8 शराब की भट्टी को ध्वस्त कर 4500 लीटर शराब को किया विनष्ट
नव पदस्थापित थानाध्यक्ष राजीव रंजन कुमार पदभार संभालने के बाद शराब के अवैध कारोबारियों पर लगातार कार्रवाई करते दिख रहे हैं लेकिन उसका समूल उन्मूलन संभव होता नहीं दिख रहा है। गुप्त सूचना के आधार पर थानाध्यक्ष के नेतृत्व में साहेबपुरकमाल थाने की पुलिस ने ज्ञानटोल और खरहट गांव से उत्तर गंगा पार दियारा में 8 देसी शराब की भट्टी को ध्वस्त करने में सफलता पाई है। थानाध्यक्ष श्री कुमार ने बताया कि कार्रवाई के दौरान लगभग 4500 लीटर शराब बनाने की कच्ची सामग्री को विधिवत फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करते हुए विनष्ट किया गया है। इसके पूर्व भी उनके नेतृत्व में इसी इलाके में देसी शराब की कई भट्ठियों को ध्वस्त किया गया था।
पेशेवर तरीके से विभिन्न गांवों में फल फूल रहा है शराब की होम डिलीवरी
हमारी पड़ताल में यह सामने आया कि न केवल विदेशी शराब बल्कि देसी शराब की भी होम डिलीवरी पेशेवर तरीके से की जा रही है। पिछले दिनों श्री कृष्ण सेतु के समीप एक किराना दुकान में जब पुलिस ने छापेमारी की थी तो पॉलीथिन में पैक देसी शराब की बड़ी खेप बरामद की गई थी। शराब के कारोबारी जिस जगह पर भट्ठी चलाते हैं, वहीं उसका भंडारण भी करते हैं। वे आस पास की गरीब महिलाओं पुरुषों को प्रति हजार पॉलीथिन पैक करने के एवज में दो सौ रुपए देते हैं। उसके बाद पॉलीथिन में पैक देसी शराब को बाइक या अन्य वाहनों से तयशुदा स्थान पर ग्राहकों को उपलब्ध करा दिया जाता है। एक गिलास देसी शराब को बीस रुपए में पीने के आदी शराबी को उनके डिमांड के अनुसार शराब उन तक पहुंचा दिया जाता है। अगर क्षेत्र के दियारा इलाके की बात को छोड़ भी दें तो लगभग हर गांव में देसी शराब बनाने वाले दो चार अवैध कारोबारी इस व्यवसाय में संलिप्त होकर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ रहे हैं।
इस इलाके में फर्मेंटेशन तकनीक से तैयार की जाती है देसी शराब
शराब दो तरीके से बनाई जाती है। पहला फर्मेंटेशन और दूसरा डिस्टलेशन। डिस्टलेशन तकनीक से बनाई गई शराब के जहरीले होने की संभावना कम होती है जबकि फर्मेंटेशन के द्वारा बनाई गई शराब कई बार जहरीली हो जाती है। देसी शराब बनाते समय कई बार इसी प्रक्रिया का पालन किया जाता है। फर्मेंटेशन से शराब बनाने के लिए अनाज, शक्कर, महुआ, खजूर, चावल और कई तरह की स्टार्च वाली चीजों में ईस्ट मिलाकर इन्हें फर्मेंट किया जाता है। यह जहरीली तब हो जाती है, जब इसे तेजी से फर्मेंट करने के लिए ऑक्सिटॉक्सिन का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए इसमें नौसादर और यूरिया भी मिलाया जाता है। इन अर्धनिर्मित चीजों को काफी समय तक मिट्टी में डाल कर रखा जाता है, इसके बाद इसे भट्टी पर चढ़ाया जाता है और इससे निकलने वाली भाप से शराब तैयार की जाती है शराब बनाने वाले कई बार शराब को और ज्यादा नशीला बनाने के लिए इसमें मेथेनॉल भी मिलाते हैं। ऑक्सीटोसिन और मेथेनॉल की मात्रा अधिक होने की वजह से ही शराब जहरीली हो जाती है।
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Author: समाचार विचार
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