➡️बेगूसराय में ही शहीद ऋषि को अंतिम सलामी देते समय फुस्स हो गई थी पुलिस की गोली
➡️हजारों लोगों की मौजूदगी में पुलिस की हुई किरकिरी के बावजूद चुप्पी साधे हैं पुलिस ऑफिसर्स
समाचार विचार/साहेबपुरकमाल/बेगूसराय: बिहार पुलिस की बंदूकें एक बार फिर तब बेबस नजर आई, जब राजद के भीष्म पितामह श्री नारायण यादव का राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि किए जाने की घोषणा करने वाली बिहार सरकार की पुलिस की बंदूकें पहले की तरह इस बार भी दगा दे गई। श्री बाबू के द्वारा स्थापित की गई भुजंगी उषा महाविद्यालय के परिसर में उनके पार्थिव शरीर के समक्ष दी जाने वाली अंतिम विदाई के दौरान बिहार पुलिस की बंदूकें एक बार फिर से फेल हो गई, जिससे पुलिस की काफी किरकिरी हो रही है। आप नीचे वीडियो में पुलिस की तैयारियों के शीघ्रपतन को खुली आंखों से देख सकते हैं। दरअसल, राजद के कद्दावर नेता और बिहार सरकार के पूर्व नगर एवं विकास मंत्री श्री नारायण यादव के निधन पर राजकीय सम्मान के दौरान अंतिम विदाई देने के समय ही बिहार पुलिस की एक बंदूक फुस्स हो गई। फायरिंग के पूर्व बंदूक चलाने वाले एक जवान को एक पुलिस अधिकारी राइफल को सही ढंग से पकड़ने की सलाह देते हुए भी देखे जा रहे हैं। वह जवान बंदूक को ऊपर की ओर नहीं बल्कि सामने की दिशा में ही फायर करने की मुद्रा में खड़ा था, तभी पीछे से एक पुलिस के अधिकारी दौड़कर उस जवान के समीप आकर उस जवान के रायफल की दिशा को ऊपर की ओर मोड़ते देखे जा सकते हैं। फिर भी पुलिस की बंदूक दगाबाज निकल गई। इस मामले को लेकर जब पुलिस के अधिकारियों से बात की गई, तो उन्होंने टाल मटोल करते हुए कुछ भी बोलने से साफ मना कर दिया।
सीएम नीतीश कुमार के सामने भी टाएं टाएं फुस्स हो चुकी है बिहार पुलिस की बंदूकें
आपको याद होगा कि राजद के ही कद्दावर नेता और वित्त राज्य मंत्री हरिनारायण सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर देने के दौरान सीएम नीतीश कुमार के सामने ही बिहार पुलिस की बंदूकों ने धोखा दे दिया था। इसके बाद वहां मौजूद पुलिस अधिकारी और बिहार पुलिस के जवानों की खूब किरकिरी हुई थी। पूर्व मंत्री के अंत्येष्टि के दौरान पुलिस द्वारा उन्हें राजकीय सम्मान के तहत अंतिम विदाई के रूप में बंदूक से जैसे ही सलामी देने की कोशिश की गई, तभी उनकी बंदूकों ने धोखा दे दिया था।
बेगूसराय में ही शहीद ऋषि को अंतिम सलामी देते समय फुस्स हो गई थी पुलिस की गोली
हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब बिहार पुलिस की बंदूकें दगाबाज निकली हों। इससे पहले भी आरा में शहीद जवान रमेश रंजन की अंतिम विदाई के दौरान बिहार पुलिस की बंदूकें धोखा दे गई थी। वहीं बेगूसराय में शहीद ऋषि कुमार को अंतिम सलामी देते समय भी कई बंदूकें नहीं चली थी। अगर थोड़े पीछे जाएं तो पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा की अंतिम विदाई के क्षण भी बिहार पुलिस की बंदूकें टांय-टांय फुस्स हो गई थी, जिसकी वजह से बिहार पुलिस की भद्द पीट गई थी।
आम लोग पुलिस की मुस्तैदी और तैयारी पर उठा रहे हैं सवाल
कॉलेज परिसर में मौजूद दर्जनाधिक लोगों ने बिहार पुलिस की तैयारी और मुस्तैदी पर सवाल उठाते हुए कहा कि यहां तो पुलिस के समक्ष अचानक फायरिंग करने की स्थिति नहीं थी, बावजूद उनकी बंदूकों ने ऐन मौके पर धोखा दे दिया। अगर अचानक प्रतिकूल परिस्थितियों में उनके समक्ष अपराधियों से मुठभेड़ करने की नौबत आ जाएगी, तो वे क्या खाक मुकाबला कर पाएंगे। गार्ड ऑफ ऑनर जैसे अतिप्रतिष्ठित सम्मान के दौरान बारंबार बिहार पुलिस की लापरवाही ने भले ही कई सवाल को जन्म दिए हों लेकिन पुलिस महकमे के वरीय अधिकारियों को ऐसे मामले में सख्त रवैया अपनाने की जरूरत है, अन्यथा यूंही उनकी भद्द पीटती रहेगी।
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Author: समाचार विचार
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