🎯जिला कलेक्टर की इस कार्रवाई की सोशल मीडिया पर जमकर हो रही है सराहना
🎯बेगूसराय में भी निजी स्कूलों की मनमानी देखकर होती है हैरानी
समाचार विचार/बेगूसराय: यह खबर किसी दूसरे देश की नहीं है और अगर होती भी तो जिनके बच्चे भारत देश के किसी भी राज्य के किसी भी निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं तो वे खुद ब खुद इस खबर से कनेक्ट हो जाते। यह खबर मध्यप्रदेश के भिंड जिले की है, जहां के जिला कलेक्टर की एक कार्रवाई सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। यूजर्स कलेक्टर के इस कदम की न केवल सराहना कर रहे हैं, बल्कि अपनी आपबीती भी सुना रहे हैं। दरअसल, निजी विद्यालयों की मनमानी का आलम यह है कि एक सामान्य व्यक्ति के लिए इन स्कूलों में बच्चों को प्राथमिक शिक्षा मुहैया कराना किसी आफत से कम नहीं है। निजी विद्यालय प्रबंधन के लिए शिक्षा अब विशुद्ध व्यापार बनकर रह गया है। चिन्हित दुकानों से ही किताब कॉपी, स्कूल ड्रेस, जूते और अन्य स्टेशनरी सामग्रियों को खरीदने की बाध्यता की आड़ में अभिभावकों का जमकर आर्थिक दोहन और शोषण हो रहा है लेकिन सरकार और स्थानीय प्रशासन की चुप्पी न केवल अभिभावकों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है बल्कि निजी स्कूलों को मलाई काटने का अवसर भी प्रदान कर रहा है। लेकिन सोशल मीडिया की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब लोग मुखरित होने लगे हैं। गुरु को देवतुल्य समझने वाले लोग अब उनके शैतानी और कुटिल हरकतों को समझ कर उन्हें भी कालाबाजारियों और मुनाफाखोरों की श्रेणी में लाकर पंक्तिबद्ध कर दिया है। आइए, अब रुख करते हैं इस चर्चित खबर की तरफ।
कक्षा 2 में पढ़ने वाले अपने बच्चे की किताबें लेकर पहुंचा मजदूर, बोला- 2130 रुपए में लाया हूं, कलेक्टर ने रद्द कर दी स्कूल की मान्यता
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक भिंड शहर के हलवाई खाना इलाके में रहने वाले एक मजदूर युवक कक्षा दो में पढ़ने वाले अपने बच्चे की किताबों को लेकर सोमवार को दोपहर में कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के पास पहुंच गया। इसने किताबें और उनका बिल दिखाते हुए बताया कि उसे यह किताबें 2 हजार 130 रुपए में दी गई हैं। इसके बाद कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने डीपीसी को निर्देश दिए कि संबंधित स्कूल की मान्यता को निलंबित किया जाए। उन्होंने भी स्कूल को 7 दिन का नोटिस देकर मान्यता सस्पेंड कर दी है।
विद्यालय प्रबंधन ने चिन्हित दुकानों पर ही पुस्तक खरीदने का दिया था निर्देश
हलवाई खाना निवासी इमदाद अहमद ने बताया कि वह फर्नीचर की दुकान पर मजदूरी करते हैं। उनका बच्या कक्षा दो में मोहल्ले के ही सानिध्य विद्या निकेतन स्कूल में पढ़ता है। इस स्कूल के प्रबंधन ने किताबें खरीदने के लिए पचीं दी, जिस पर सुविधा बुक स्टोर का नाम लिखा था। यह किताबें दूसरी किसी दुकान पर उपलब्ध नहीं थी। पुस्तक बाजार में संचालित इस दुकान से जब किताबें खरीदी, तो दुकानदार ने 2130 रुपए मांगे। मैंने इतनी अधिक कीमत सुनकर जब मोलभाव का प्रयास किया, तो दुकानदार ने साफ इंकार कर दिया। इतना ही नहीं, कॉपियों के लिए 500 रुपए और मांगे गए। लेकिन मेरे पास पूरे रुपए न होने की वजह से कॉपियां नहीं खरीद पाया। खास बात तो यह है कि इन किताबों में एनसीईआरटी की एक भी किताब नहीं थी।
जिला कलेक्टर के आदेश पर रद्द कर दी गई स्कूल की मान्यता
युवक की शिकायत सुनने के बाद कलेक्टर श्रीवास्तव ने डीपीसी व्योमेश शर्मा को फोन किया। उन्होंने निर्देश दिए कि एक ही दुकान से अधिक दाम पर किताबें खरीदने के लिए बाध्य करने वाले सानिध्य विद्या निकेतन स्कूल की मान्यता को तुरंत रद्द किया जाए। बता दें, कि इससे कुछ दिन पूर्व सेंट माइकल स्कूल की मान्यता भी सस्पेंड की गई थी। जिला कलेक्टर के इस त्वरित कार्रवाई के प्रकाश में आते ही लोग इस निर्णय की जमकर सराहना कर रहे हैं और बकायदा सोशल मीडिया के यूजर्स ने इसे आंदोलन का शक्ल भी दे दिया है।
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Author: समाचार विचार
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