➡️भाकपा माले ने कैंटीन चौक पर फूंका सीएम नीतीश कुमार का पुतला
➡️कार्यकर्ताओं ने सीएम से की पत्रकारों पर हुए मुकदमे के वापसी की मांग
समाचार विचार/बेगूसराय: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तानाशाही रवैये और लोकतांत्रिक अधिकारों पर लगातार हमले का आरोप लगाकर भाकपा-माले ने बेगूसराय में जोरदार प्रदर्शन कर कैंटीन चौक पर मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया। माले कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय कमलेश्वरी भवन से मार्च निकाल कर पूरे बाजार का भ्रमण किया। इस बीच पत्रकारों पर मुकदमा वापस लो, लोकतंत्र पर हमला बंद करो, लड़कियों पर आपत्तिजनक बयान पर मुख्यमंत्री माफ़ी मांगे, जैसे गगनभेदी नारे लगा रहे थे। कैंटीन चौक पर मुख्यमंत्री का पुतला दहन के बाद सभा को संबोधित करते हुए माले जिला सचिव दिवाकर प्रसाद, नगर सचिव राजेश श्रीवास्तव, पूर्व जिला सचिव चंद्रदेव वर्मा, नवल किशोर सिंह और बैजू सिंह ने मुख्यमंत्री को उनकी आपत्तिजनक बयानबाजी और लोकतांत्रिक मूल्यों को रौंदने के लिए आड़े हाथों लिया।
कार्यकर्ताओं ने सीएम से की पत्रकारों पर हुए मुकदमे के वापसी की मांग
आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने कहा कि पत्रकारों
और यूट्यूब इंफ्लुएंसरों पर मुकदमा दर्ज कराना मुख्यमंत्री की हिटलरशाही मानसिकता को उजागर करता है। मुख्यमंत्री का हालिया बयान न केवल महिलाओं के सम्मान के खिलाफ है, बल्कि उनकी असंवेदनशीलता और समाज के प्रति गैर-जिम्मेदाराना रवैये का प्रमाण है। यह बयान महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है। पूर्व में भी मुख्यमंत्री ने बिहार विधानसभा सत्र के दौरान परिवार नियोजन को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था। मुख्यमंत्री अपने बयान पर खेद प्रकट करने के बजाय उन पत्रकारों और मीडिया कर्मियों पर मुकदमा करवा दिया, जिन्होंने इस खबर को प्रकाशित किया। यह प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कमजोर करने का प्रयास है। उन्होंने इस कदम को लोकतंत्र की हत्या करार दिया।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने आपत्तिजनक बयान पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगें। पत्रकारों और यूट्यूब इंफ्लुएंसरों पर दर्ज किए गए मुकदमों को तुरंत वापस लिया जाए। माले नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हो रही छापेमारी छात्र – नौजवानों की गिरफ्तारियों पर रोक लगाई जाए।
आतंक यात्रा के रूप में तब्दील हो चुकी है मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा
कहा कि मुख्यमंत्री की तथाकथित ‘प्रगति यात्रा’ अब ‘आतंक यात्रा’ बन चुकी है। जिस जिले में मुख्यमंत्री जाते हैं, वहां माले कार्यालयों और नेताओं के घरों पर छापेमारी और गिरफ्तारियां की जाती हैं। नीतीश सरकार भाजपा के नक्शे कदम पर चल दमनकारी राजनीति की राह अपना रही है। लोकतंत्र पर हमला, प्रेस की स्वतंत्रता को कुचलना, छात्रों के आंदोलनों और विरोध प्रदर्शनों पर लगातार हमले यह साबित करते हैं कि सरकार जनता की आवाज से डरती है। यह तानाशाही रवैया बिहार की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। लोकतंत्र और जन अधिकारों की रक्षा के लिए जनता एकजुट होकर संघर्ष करेगी। मौके पर माले नेता राम ललित यादव, नूर इस्लाम जिम्मी, रामानुज सिंह, कैलाश प्रसाद महतो, गजेंद्र पंडित, सूचित सिंह, सुरेश पासवान, अजय चौधरी, प्रभु पासवान, संतोष कुमार दास, मशहरु पासवान, जोगी पासवान आदि उपस्थित थे।
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Author: समाचार विचार
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