वाजिब सवाल: काबर प्रक्षेत्र का हवाई नहीं, जमीनी सर्वेक्षण कीजिए सुशासन बाबू

➡️चालीस वर्षों बाद आज भी पक्षी विहार की अधिसूचना को नहीं पहनाया गया है अमलीजामा
➡️काबर टाल की जमीनी यथार्थ को लेकर सीएम के प्रभावी फैसले के इंतजार में हैं क्षेत्र के लोग
समाचार विचार/बेगूसराय: 18 तारीख को सीएम नीतीश कुमार अपनी प्रगति यात्रा के तीसरे चरण में बेगूसराय आ रहे हैं, जहां वे मटिहानी प्रखंड के मनिअप्पा पंचायत सरकार भवन स्थल पर पहुंचेंगे। वहां वे नये बने पंचायत सरकार भवन, खेल का मैदान एवं पीएचडी विभाग द्वारा निर्मित जल मीनार का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद कई अन्य कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद वे काबर टाल प्रक्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण करेंगे। नीतीश कुमार के काबर प्रक्षेत्र के हवाई सर्वेक्षण की सूचना से क्षेत्रवासी थोड़े उत्साहित तो जरूर हैं लेकिन उनकी उम्मीद में पंख तब लगते, जब सीएम इस क्षेत्र का जमीनी सर्वेक्षण करते। जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार महेश भारती ने आज काबर टाल परिक्षेत्र की व्यथा को शब्दाकार दिया है, जो आपके सम्मुख प्रस्तुत है।
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काबर प्रक्षेत्र का हवाई नहीं, जमीनी सर्वेक्षण कीजिए सुशासन बाबू
तथाकथित सुशासन के प्रतीक नीतीश कुमार जी, आप से सादर निवेदन है कि आप बेगूसराय के काबर टाल का हवाई सर्वेक्षण नहीं बल्कि जमीनी सर्वेक्षण कीजिए। तब आपको धरातलीय सच्चाई का पता चलेगा। आपको तब यह भी पता चलेगा कि काबर टाल की जमीन का सही निबटारा और यहां बनने वाले पक्षी विहार की योजना को इसकी अधिसूचना के 39 बरसों बाद भी अमलीजामा क्यों नहीं पहनाया गया? यह सवाल आज तक अनुत्तरित है। बिहार के अधिकारियों, इस इलाके के नेताओं, एमपी एमएलए और जन प्रतिनिधियों के लिए यह समस्या सिर्फ समस्या ही बनी रही। कभी समाधान का सार्थक प्रयास नहीं हुआ। पिछले चालीस वर्षों से काबर प्रक्षेत्र सिर्फ सरकारी अधिकारियों की कागजी कार्रवाईयों और ‌मीडियाकर्मियों के समाचार पत्रों के अग्र पृष्ठ पर विकास के लिए सिसकता ही रहा है।
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चालीस वर्षों बाद आज भी पक्षी विहार की अधिसूचना को नहीं पहनाया गया है अमलीजामा
वर्ष 1986 में बेगूसराय के जिलाधिकारी द्वारा जिला गजट के माध्यम से यहां पक्षी विहार बनाने की अधिसूचना जारी कर दी गई थी। किसानों ने तब कोर्ट की शरण भी ली थी। वर्ष 1989 में राज्य गजट के द्वारा 15 हजार एकड़ से अधिक रैयती जमीन को अधिसूचित कर संबंधित अधिकारियों ने नायाब खेला किया। तब से यह योजना सिसक रही है। एक तरफ पक्षी विहार की महत्वाकांक्षी पर्यावरणिक योजना काबर पक्षी विहार योजना धरातलीय स्वरूप ग्रहण नहीं कर सकी और दूसरी तरफ क्षेत्रीय किसानों की परेशानी बढ़ती ही चली गई। वर्ष 2013 में बेगूसराय के तत्कालीन कलक्टर ने समस्या को सुलझाने की बजाय काबर क्षेत्र की जमीन की रजिस्ट्री पर ही रोक लगा दी। इससे इलाके के किसानों की परेशानी और बढ़ी रही। किसान अपनी ही जमीन खरीद बिक्री से बेवजह वंचित हो गए। सरकारी अधिकारियों ने काबर टाल पक्षी अभयारण्य की योजना को मूर्त रूप देने के बजाय इसके लिए टालू दीर्घसूत्री रवैया ही अख्तियार किया।  फल है कि चालीस बरसों में न यहां पक्षी विहार बन सका और न ही किसानों के विकास की कोई अन्य योजना ही।
काबर टाल की जमीनी यथार्थ को लेकर सीएम के प्रभावी फैसले के इंतजार में हैं क्षेत्र के लोग
बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब 18 जनवरी को काबर टाल का हेलीकाप्टर सर्वेक्षण करेंगे, तो इलाके के लोगों की उत्सुकता बढ़नी लाजिमी है। किसान आंदोलित हैं और लोगों को काबर टाल की समस्या के समाधान के प्रति उम्मीद की आस भी। देखिए मुख्यमंत्री सिर्फ हवाई दौरा करके लौट जाते हैं या फिर काबर टाल की जमीनी यथार्थ को लेकर कुछ फैसले की जहमत भी उठाते हैं।

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