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क्या हो गया है शहर को: जिस्मफरोशी के अड्डे में तब्दील होती जा रही है बिहार की औद्योगिक राजधानी बेगूसराय

  • खगड़िया

🎯पंद्रह दिनों के भीतर दो होटलों से आपत्तिजनक अवस्था में गिरफ्तार हुए दर्जनों युवक युवतियां

🎯जिस्म की प्यास बुझाने के लिए सारी मर्यादाएं तोड़ रही है आज की युवा पीढ़ी

समाचार विचार/बेगूसराय: 1990 के दशक में नौजवान हो रहे लोगों को याद होगा कि कपसिया चौक से थोड़ा आगे पश्चिम की तरफ इंडियन ऑयल का एकमात्र मतलब नवरत्न कंपनी आईओसीएल नहीं हुआ करता था बल्कि एक पेट्रोल पंप के ठीक बगल में जिस्म की मंडियां सजती थी, जिसे कूट भाषा में इंडियन ऑयल कहा जाता था। उन दिनों बेगूसराय के नव धनाढ्य और दूसरे प्रदेशों से व्यापार के सिलसिले में आए व्यापारी स्टेशन चौक पर किसी भी रिक्शा वाले को इंडियन ऑयल पहुंचाने को कहते थे तो उनका गंतव्य उसी पेट्रोल पंप के बगल में होता था, जिसकी चर्चा ऊपर की जा चुकी है। उस दौर में उत्तर स्टेशन परिसर और ठीक दक्षिण बस स्टैंड में भी रात के ग्यारह बजे के बाद सज संवर कर कामुक अदाओं से जिस्म की नुमाइश करती  युवतियों और महिलाओं पर रिझने वाले अर्धवयस्क लोगों की कमी नहीं थी। अंधेरी रातों में चाय पान की दुकानों पर बीड़ी सुलगाते रिक्शे वाले जिस्म से खेलने वाले मर्दों को सर्वोदय नगर, लोहियानगर, बाघी सहित अन्य मोहल्ले में स्थित सुरक्षित ठिकानों तक इस कदर पहुंचाया करते थे मानो रिक्शे की सीट पर बैठे युगल पति पत्नी हों। सौदा तो पहले ही तय हो जाया करता था, जिसका कुछ कमीशन सीने के जोर से रिक्शा खींचने वाले टीवी पेशेंट चालक के हिस्से में चला जाता था। उस दौर में रनिया नाम की एक महिला ने खूब सुर्खियां बटोरी थी। उसका नाम एक आईपीएस से भी जोड़ कर देखा जाता था। हालांकि, कामवासना की तृप्ति के लिए उन दिनों इंडियन ऑयल और स्टेशन के आस पास का इलाका गुलजार रहा करता था लेकिन तब कुछ मर्यादाएं थीं, कुछ वर्जनाएं और सीमाएं थी। वैश्वीकरण के शुरुआती दौर में चमक दमक, धनार्जन और कुछ मजबूरियों के मोहपाश में जकड़ी ग्रामीण क्षेत्र के नशेबाजों की अर्धांगिनी, असमय विधवा हुई नारियों को बेगूसराय शहर के स्टेशन चौक ने आकर्षित किया और फिर होटल के कल्चर की शुरुआत हुई। इन डेढ़ दो दशकों में जिस्मफरोशी के धंधे से कई होटल संचालक मालामाल हुए, इसे सार्वजनिक करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

क्या हो गया है इस शहर को

इधर पंद्रह दिनों के भीतर दो होटलों से आपत्तिजनक अवस्था में गिरफ्तार हुए दर्जनों युवक युवतियां
भले ही अपने शहर में ओयो कल्चर अब तक विकसित नहीं हुआ है लेकिन हालिया घटना इसकी तस्दीक करने के लिए काफी हैं कि यहां जिस्मफरोशी का धंधा परवान पर है। कल ही नगर थाना पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर काली स्थान स्थित एक निजी होटल आशियाना में छापामारी कर ग्यारह लड़कों और ग्यारह लड़कियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्त में आए लड़के और लड़कियों पर आरोप है कि वे अवैध रूप से जिस्मफरोशी के धंधे में शामिल थे। उनमें एक आर्मी का जवान भी शामिल था, जिसके साथ अन्य सबों को पीआर बॉन्ड पर छोड़ दिया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब पुलिस पीआर बॉन्ड पर इस धंधे में शामिल लोगों को छोड़ ही देती है तो छापेमारी का औचित्य ही क्या है। हालांकि, इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि शहर में चल रहे जुए, लॉटरी, शराब और जिस्मफरोशी के धंधे की जानकारी पुलिस को नहीं है। ट्रैफिक चौक और बस स्टैंड के बीच सड़क के बाईं तरफ दिन के उजाले में खुलेआम चल रहे इन अवैध कारोबारों से क्या बेगूसराय पुलिस अंजान है? चलिए, अब देखिए, इसी 9 तारीख को नगर थाने की पुलिस ने सुभाष चौक स्थित तिरुपति होटल में छापेमारी कर 13 युवती एवं 12 युवक को गिरफ्तार किया था। पुलिस का कहना था कि उक्त होटल में जिस्मफरोशी का धंधा चल रहा था। इसकी जानकारी नगर थाना पुलिस को लगी। सूचना मिलते ही नगर थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और छापेमारी अभियान चलाते हुए होटल से 13 लड़की एवं 12 लड़कों को हिरासत में लिया है। पुलिस ने उनके पास से कुछ आपत्तिजनक सामान भी बरामद किया था। कहने का आशय यह है कि अब बेगूसराय जिस्मफरोशी के अड्डे के रूप में तब्दील होती जा रही है।

जिस्म की प्यास बुझाने के लिए सारी मर्यादाएं तोड़ रही है आज की युवा पीढ़ी
आइए, अब पड़ताल करते हैं कि आखिर ये युवा और युवतियां किसी दूसरे ग्रह से बेगूसराय तो नहीं न आए होंगे। पुलिस की गिरफ्त में आने वाले इन बेलगाम युवा और युवतियों से इतर अगर हम बात करें तो हर गली मोहल्ले में किशोरवय लंपटों की घिनौनी हरकतों को दरकिनार करने की प्रवृति ही अब नासूर बनती जा रही है। कुकुरमुत्ते की तरह उग आए कोचिंग संस्थानों, जीडी कॉलेज, कॉपरेटिव कॉलेज, महिला कॉलेज सहित विभिन्न शिक्षण संस्थानों के समीप दो मिनट खड़ा होकर देख लीजिए तो इनकी हरकतें यह बयां करने के लिए काफी हैं कि इनका अगला ठिकाना कोई होटल ही होगा। आपको याद होगा कि जब बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी थे तो बिहार के कला-संस्कृति एवं युवा मामलों के मंत्री विनय बिहारी ने विधानसभा में कहा था कि मोबाइल के कारण भी दुष्कर्म के मामले बढ़ रहे हैं। बच्चे अपने स्मार्ट फोन में अश्लील सामग्री रखते हैं और इंटरनेट का भी दुरुपयोग करते हैं। इसका असर उनके दिमाग पर पड़ता है और वे वारदात करते हैं। दरअसल, वातावरण का किशोरवय अवस्था के बच्चों पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। शहरी क्षेत्र हों या ग्रामीण क्षेत्र, डीजे पर बजने वाले अश्लील गाने भी इनकी कामवासना को भड़काने का काम करते हैं। विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण की चरम अवस्था इन्हें मर्यादाओं की बेड़ियों में जकड़ कर नहीं रख सकती है। फलस्वरूप, ऐसी घटनाएं जब अखबारों की सुर्खियां बनती हैं तो हम इसे कलयुग का वीभत्स रूप कह कर चुप्पी साध लेते हैं। होटलों के बिस्तर तक पहुंचने वाले ये युवक और युवतियां निःसंदेह हमारे समाज के ही हैं।

क्या हो गया है शहर को

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