➡️इनियार निवासी गुलशन कुमार के अथक प्रयास से खुशहाल हुई जिंदगी
➡️रत्ना निधि चैरिटेबल ट्रस्ट, पीरामल फाउंडेशन और माया कौशल्या फाउंडेशन का जताया आभार
समाचार विचार/बेगूसराय: रेल दुर्घटना में अपना एक पैर खोकर 32 साल से वैशाखी के सहारे चल रहे चिंटू धर्मा वैशाखी छोड़ अब कृत्रिम पैरों के सहारे भरेंगे उड़ान। वे कृत्रिम पैरों के सहारे अपने आगे का सफर तय करेंगे और इसमें उनके सहयोगी बने हैं बेगूसराय के इनियार निवासी गुलशन कुमार। विदित हो कि गुलशन कुमार पिछले डेढ वर्ष से महाराष्ट्र के पालघर में पीरामल फाउंडेशन के साथ काम करे हैं। इसी कड़ी में पंचायत भ्रमण के दौरान इनकी नजर संभा ग्राम पंचायत के स्थानीय निवासी चिंटू धर्मा पर गई, जिन्होंने रेल दुर्घटना में 32 वर्ष पूर्व अपना एक पैर खो दिया था।लंबे अर्से से बिस्तर पर पड़े रहने के बाद वे वैशाखी के सहारे अपने दैनिक कार्यों को अंजाम दे रहे थे। लेकिन यह सहारा उनकी गति और स्वतंत्रता में बाधक बन रही थी। उनके संघर्ष और परेशानियों को इन्होंने पंचायत भ्रमण के दौरान करीब से देखा और महसूस किया कि इनकी मदद के लिए कुछ किया जाना चाहिए।
सोशल मीडिया के सहारे इनकी तलाश हुई पूरी
इनकी स्थिति को समझने के बाद गुलशन ने ऐसे व्यक्तियों और संस्थाओं की तलाश शुरू की, जो विकलांग व्यक्तियों को कृत्रिम अंग उपलब्ध कराते हैं। गूगल, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स के जरिए कई संस्थाओं की जानकारी इन्हें मिली लेकिन अधिकतर संस्थाएं इनके यहाँ से काफी दूर थीं, जिससे उन तक पहुँच पाना इनके लिए काफी मुश्किल हो रहा था। काफी प्रयासों के बाद, इनकी तलाश रत्ना निधि चैरिटेबल ट्रस्ट पर आकर पूरी हुई। मुंबई के महालक्ष्मी में स्थित इस ट्रस्ट का कार्यालय इनके क्षेत्र से नजदीक और पहुंचने योग्य था।इन्होंने चिंटू धर्मा का विवरण लेकर रत्ना निधि चैरिटेबल ट्रस्ट से ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से संपर्क किया। उनकी सहमति और प्रक्रिया पूरी होने के बाद आपसी सहमति से एक तारीख निश्चित की गई। तय तारीख पर, ट्रस्ट के कार्यालय पहुँचकर चिंटू धर्मा के कृत्रिम पैर का माप लिया गया। माप लेने के 22 दिन बाद उन्हें दोबारा बुलाया गया और उनके पैरों में कृत्रिम पैर फिट किया गया। इसी पूरी प्रक्रिया में गुलशन साये की तरह इनके साथ मौजूद रहे।
रत्ना निधि चैरिटेबल ट्रस्ट, पीरामल फाउंडेशन और माया कौशल्या फाउंडेशन का जताया आभार
कृत्रिम पैर लगने के बाद चिंटू धर्मा ने जब अपने कदम बिना वैशाखी के बढ़ाए, तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उनकी आंखों में आत्मविश्वास और उल्लास साफ झलक रहा था। चिंटू धर्मा को कृत्रिम पैर मिलने पर गुलशन कुमार ने रत्ना निधि चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा है कि उन्हें प्रसन्नता है कि वे इस सफर में एक माध्यम बन सके। चिंटू धर्मा और उनके परिवार के खुशी का जो वर्षों से चिंटू धर्मा को वैशाखी के सहारे देख उदासी में जी रहे थे, उन्होंने पीरामल फाउंडेशन और माया कौशल्या फाउंडेशन का विशेष धन्यवाद दिया है, जो उन्हें समाज की जमीनी हकीकत को ढुंढकर उसपर कार्य करने के लिए उन्हें प्रेरित करती है।
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Author: समाचार विचार
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