आशंका: क्या केके पाठक की आंखों में धूल झोंकने में सफल हो पाएगा बेगूसराय का यह नटवरलाल शिक्षक
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फर्जी सीटेट प्रमाण पत्र के आधार पर अप्रशिक्षित शिक्षक के रूप में बहाल हुए हैं जिले के कई शिक्षक
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समाचार विचार के हाथ लगा है शिक्षक प्रमोद यादव का फर्जी प्रमाण पत्र
समाचार विचार/बेगूसराय: सक्षमता परीक्षा के दौरान शिक्षकों के कागजातों की जांच एवं थंब इंप्रेशन मिलान से अवैध बहाल एवं फर्जी शिक्षकों के बीच हड़कंप मच गया है, वहीं भ्रष्टाचार की आशंका भी बलवती हो गई है। जिसके डर से शिक्षकों ने इस्तीफा देना भी शुरू कर दिया है। प्राथमिक विद्यालय मोची टोल पबड़ा की शिक्षिका काजल कुमारी ने विभाग को अपना इस्तीफा सौंप दिया है लेकिन इसी विद्यालय के एक शिक्षक प्रमोद यादव विभागीय पदाधिकारियों की मिली भगत से अवैध रूप से बहाल होते हुए भी अब तक विद्यालय में बने हुए हैं। उक्त शिक्षक सहित कुछ अन्य शिक्षक फर्जी सीटेट प्रमाण पत्र के आधार पर अप्रशिक्षित शिक्षक के रूप में बहाल हुए हैं जबकि नियम यह है कि सीटेट की परीक्षा में प्रशिक्षित उम्मीदवार ही भाग ले सकते हैं। साथ ही उक्त फर्जी शिक्षक का पात्रता प्रमाण पत्र देखकर कोई भी व्यक्ति कह सकता है कि नटवरलाल ने किस हास्यास्पद तरीके से फर्जी प्रमाण पत्र बनवाया है क्योंकि इसमें अंकों के जोड़ में भी गजब का खेल हुआ है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो इस शिक्षक ने बिना किसी भय के सक्षमता परीक्षा भी दे दिया है। बताते चलें कि उक्त शिक्षक को तत्कालीन डीपीओ रवि कुमार सिंह, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे ने 2020 में ही संबंधित शिक्षक पर कार्रवाई को लेकर पंचायत सचिव को पत्र जारी किया था लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ। उक्त मामले को लेकर जिलाधिकारी बेगूसराय जिला शिक्षा पदाधिकारी बेगूसराय को भी कई बार पुख्ता सबूतों के साथ पत्र लिखा गया लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।
फर्जी सीटेट प्रमाण पत्र के आधार पर अप्रशिक्षित शिक्षक के रूप में बहाल हुए हैं जिले के कई शिक्षक
तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी बेगूसराय के द्वारा क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक के पत्रांक 14 दिनांक 03.01.2023 के आलोक में पत्रांक 61 दिनांक 16.01.2023 को डीपीओ रविंद्र शाह स्थापना शाखा के लिपिक प्रेम प्रभाकर, तत्कालीन चेरियाबरियारपुर बीइओ आशीष कुमार गुप्ता, सहायक लेखापाल चेरियाबरियारपुर अरविंद कुमार को पत्र लिखा गया था कि सीटेट फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर बहाल शिक्षकों से मोटी रकम लेकर उसका वेतन चालू एवं जारी करने का खेल चल रहा है लेकिन इसके बावजूद मामला ज्यो का त्यों बना रहा। साथ ही उक्त शिक्षक तत्कालीन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को भी मोटी रकम देकर अपने कुकृत्य को छुपाते आ रहे हैं। अब देखने वाली बात और यह है कि सक्षमता परीक्षा के नाम पर फर्जी शिक्षकों के जांच का जो सिलसिला चला है, उसमें उक्त शिक्षक पकड़ में आते हैं या के के पाठक की आंखों में धूल झोंकते हुए जिला के पदाधिकारी इन्हें बचा लेते हैं।
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Author: समाचार विचार
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